बैंग लेकर भागा बदमाश, कूदी युवती घायल

भटनी-वाराणसी रेल खंड पर लार रोड रेलवे स्टेशन पर गोरखपुर से मंडुवाडीह जा रही पैसेंजर ट्रेन से एक उचक्का रेल यात्री का बैग लेकर कूद पड़ा। साथ ही युवती भी उचक्का को पकड़ने के लिए कूद पड़ी। जिससे वह घायल हो गई। इलाज के लिए पुलिस ने तत्काल उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सलेमपुर पहुंचाया। इस मामले में कार्रवाई के लिए पीड़िता ने पुलिस को तहरीर दी है। बलिया जनपद के भीमपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम खूटा निवासी राधेश्याम की पुत्री स्नेहा गोरखपुर से अपने घर पैसेंजर ट्रेन से भोर में जा रही थी, उसे किड़िहरापुर में उतरना था। लार रोड रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर ट्रेन रुकी, कुछ देर बाद जब ट्रेन चलने लगी। इस बीच एक उचक्का उसका बैग लेकर चलती ट्रेन से ही कूद पड़ा। यह देख स्नेहा भी उचक्का के पीछे कूद पड़ी। उचक्का तो भाग गया, लेकिन स्नेहा घायल हो गई। यह देख आसपास के लोगों ने भी उचक्का का पीछा किया और यूपी 100 पुलिस को सूचना दी।



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प्रतापगढ़ :
आज मनुष्य भौतिकतावाद की आंधी में बहकर अधिकतम धन-सम्पत्ति अर्जन कर, भोग-विलास के साधनों से क्षणिक सुखों की म्रगतृष्णा में भटक रहा है,इसलिए वह ईश्वर प्रदत्त शाश्वत शांति और आंनंद प्राप्ति से दूर ही होता जा रहा है। अज्ञानता वश इस सत्य से अनभिज्ञ है,की सुख-दुख की अनुभूति करने वाला केवल एक ही मन है। सनातन वैदिक धर्म की मान्यताओं में इसलिए सुख विशेष की अवस्था को स्वर्ग तथा दुख विशेष की अवस्था को ही नर्क कहा गया है। शांति के बिना आनंद की प्राप्ति सम्भव नही यही जगत का अटल सत्य है। सुख-दुख केवल एक मन की अवस्था का नाम है। ऐसा होना कभी सम्भव नही की संवेदनहीन निष्ठुर,कठोर ह्रदय से हम दुखों की अनुभूतियों को नजर -अंदाज कर दें और उसी ह्रदय से सुख,आनंद अनुभव कर लें इन अनुभूतियों के लिए ह्रदय का संवेदनशील होना आवश्यक है। वेद का शाब्दिक अर्थ ही ज्ञान है। वह सनातन, सार्वभौमिक होने के साथ विज्ञान न्याय,धर्म सम्मत भी है। जगत नियंता ईश्वर ही श्रष्टि का आटो माइन सिस्टम है। उसके विधान को विज्ञान की कोई भी तकनीक से बदलना सम्भव नही है। इसका सीधा सा एक अर्थ है,की दूसरे जीवों की पीड़ाओं, कष्टों, दुखों, परेशानियों को महसूस करने के प्रति,मनुष्य जितना उदासीन ,संवेदनहीन होगा,वह सुख-आंनद की अनुभूति से भी उतना ही वंचित रहेगा।दूसरे का अहित चाहने का विचार भी हमारे ही मन में उपजता है ऐसा होते ही हमारी हानि की शुरुआत हो जाती है। क्रोध करते ही हमारा बी.पी बढ़ने लगता है।निराशा,कुंठा अवसाद के विचार मन में आते ही डिप्रेशन,एन्जायटी,लो-बी.पी की समस्या घर करने लगती है।आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के नवीन शोधों के निष्कर्ष भी अब यही जता रहे है नकारात्मक विचारों का हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भविष्य की दुनियां में रोग- निदान में मनोचिकित्सा की बहुत बडी भूमिका उभर कर सामने आयेगी।