पूर्व राष्ट्रपति  प्रणव मुखर्जी के दिल्ली स्थित आवास 10 राजाजी मार्ग व विज्ञान भवन,नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्यमंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए चैंपियनस फ़ॉर चेंज-2019 के पुरस्कार से सम्मानित किया है।

 पूर्व राष्ट्रपति  प्रणव मुखर्जी के दिल्ली स्थित आवास 10 राजाजी मार्ग व विज्ञान भवन,नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्यमंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए चैंपियनस फ़ॉर चेंज-2019 के पुरस्कार से सम्मानित किया है।
अनुराग सिंह ठाकुर को सामाजिक कल्याण, विशेष रूप से हेल्थकेयर, शिक्षा और खेल के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।  वह इस वर्ष पुरस्कार प्राप्त करने वाले नरेंद्र मोदी सरकार के एकमात्र केंद्रीय मंत्री हैं।


देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश व पूर्व एनएचआरसी चेयरमैन जस्टिस केजी बालकृष्णन व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा ने इस अवॉर्ड के नॉमिनेशन और चयन की प्रक्रिया के ज्यूरी की अध्यक्षता की। पूरे भारत में इस सम्मान के लिए चुने गए पुरस्कार विजेताओं में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, झारखंड के मुख्यमंत्री, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री, आचार्य बालकृष्ण, अध्यक्ष पतंजलि आयुर्वेद , अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और कई प्रमुख हस्तियां शामिल थीं।  भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री, अनुराग सिंह ठाकुर इस वर्ष पुरस्कार प्राप्त करने वाले एकमात्र केंद्रीय मंत्री हैं।


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प्रतापगढ़ :
आज मनुष्य भौतिकतावाद की आंधी में बहकर अधिकतम धन-सम्पत्ति अर्जन कर, भोग-विलास के साधनों से क्षणिक सुखों की म्रगतृष्णा में भटक रहा है,इसलिए वह ईश्वर प्रदत्त शाश्वत शांति और आंनंद प्राप्ति से दूर ही होता जा रहा है। अज्ञानता वश इस सत्य से अनभिज्ञ है,की सुख-दुख की अनुभूति करने वाला केवल एक ही मन है। सनातन वैदिक धर्म की मान्यताओं में इसलिए सुख विशेष की अवस्था को स्वर्ग तथा दुख विशेष की अवस्था को ही नर्क कहा गया है। शांति के बिना आनंद की प्राप्ति सम्भव नही यही जगत का अटल सत्य है। सुख-दुख केवल एक मन की अवस्था का नाम है। ऐसा होना कभी सम्भव नही की संवेदनहीन निष्ठुर,कठोर ह्रदय से हम दुखों की अनुभूतियों को नजर -अंदाज कर दें और उसी ह्रदय से सुख,आनंद अनुभव कर लें इन अनुभूतियों के लिए ह्रदय का संवेदनशील होना आवश्यक है। वेद का शाब्दिक अर्थ ही ज्ञान है। वह सनातन, सार्वभौमिक होने के साथ विज्ञान न्याय,धर्म सम्मत भी है। जगत नियंता ईश्वर ही श्रष्टि का आटो माइन सिस्टम है। उसके विधान को विज्ञान की कोई भी तकनीक से बदलना सम्भव नही है। इसका सीधा सा एक अर्थ है,की दूसरे जीवों की पीड़ाओं, कष्टों, दुखों, परेशानियों को महसूस करने के प्रति,मनुष्य जितना उदासीन ,संवेदनहीन होगा,वह सुख-आंनद की अनुभूति से भी उतना ही वंचित रहेगा।दूसरे का अहित चाहने का विचार भी हमारे ही मन में उपजता है ऐसा होते ही हमारी हानि की शुरुआत हो जाती है। क्रोध करते ही हमारा बी.पी बढ़ने लगता है।निराशा,कुंठा अवसाद के विचार मन में आते ही डिप्रेशन,एन्जायटी,लो-बी.पी की समस्या घर करने लगती है।आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के नवीन शोधों के निष्कर्ष भी अब यही जता रहे है नकारात्मक विचारों का हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भविष्य की दुनियां में रोग- निदान में मनोचिकित्सा की बहुत बडी भूमिका उभर कर सामने आयेगी।