एयरटेल ने चुकाए 10,000 करोड़

दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने कार्रवाई से बचने के लिए सोमवार को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के तहत 10,000 करोड़ रुपए बकाये का भुगतान कर दिया है। भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज पर संयुक्त रूप से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का एजीआर बकाया है। भारती एयरटेल ने शुक्रवार को दूरसंचार विभाग को 20 फरवरी तक 10 हजार करोड़ रुपए का भुगतान करने की पेशकश की थी। हालांकि दूरसंचार विभाग ने समयसीमा में अब कोई छूट देने से इनकार कर दिया। वोडाफोन आइडिया ने कहा कि वह एजीआर बकाये को लेकर कितना भुगतान किया जा सकता है, इसका आकलन कर रही है। गौरतलब है ‎कि उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर 2019 को दिए फैसले में कहा था कि दूरसंचार कंपनियों पर सम्मिलित रूप से 1.47 लाख करोड़ रुपए का एजीआर बकाया है। इन कंपनियों को उच्चतम न्यायालय ने 23 जनवरी तक बकाए का भुगतान करने को कहा था। सरकारी कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल ने भी अब तक भुगतान नहीं किया है। उपलब्ध अंतिम अनुमान के हिसाब से एयरटेल पर 35,586 करोड़ रुपए, वोडाफोन आइडिया पर 53 हजार करोड़ रुपए, टाटा टेलीसर्विसेज पर 13,800 करोड़ रुपए, बीएसएनएल पर 4,989 करोड़ रुपए और एमटीएनएल पर 3,122 करोड़ रुपए का एजीआर बकाया है। कुल 1.47 लाख करोड़ रुपए में से करीब 1.13 लाख करोड़ रुपए वसूले जा सकते हैं। शेष राशि जिन कंपनियों पर बकाया है, वे कंपनियां कारोबार पहले ही समेट चुकी हैं। रिलायंस कम्युनिकेशंस और एयरसेल इस समय दिवाला प्रक्रिया के तहत चल रही हैं।" alt="" aria-hidden="true" />



Popular posts
नोएडा।सलारपुर भंगेल व्यापार मंडल
ग्रा0प0नरायनपुर कला में बांटे गये मास्क और सेनेटाइजर
दिल्ली हिंसाः कड़कड़डूमा कोर्ट में हुई ताहिर हुसैन की पेशी, अदालत ने 7 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा
Image
प्रतापगढ़ :
आज मनुष्य भौतिकतावाद की आंधी में बहकर अधिकतम धन-सम्पत्ति अर्जन कर, भोग-विलास के साधनों से क्षणिक सुखों की म्रगतृष्णा में भटक रहा है,इसलिए वह ईश्वर प्रदत्त शाश्वत शांति और आंनंद प्राप्ति से दूर ही होता जा रहा है। अज्ञानता वश इस सत्य से अनभिज्ञ है,की सुख-दुख की अनुभूति करने वाला केवल एक ही मन है। सनातन वैदिक धर्म की मान्यताओं में इसलिए सुख विशेष की अवस्था को स्वर्ग तथा दुख विशेष की अवस्था को ही नर्क कहा गया है। शांति के बिना आनंद की प्राप्ति सम्भव नही यही जगत का अटल सत्य है। सुख-दुख केवल एक मन की अवस्था का नाम है। ऐसा होना कभी सम्भव नही की संवेदनहीन निष्ठुर,कठोर ह्रदय से हम दुखों की अनुभूतियों को नजर -अंदाज कर दें और उसी ह्रदय से सुख,आनंद अनुभव कर लें इन अनुभूतियों के लिए ह्रदय का संवेदनशील होना आवश्यक है। वेद का शाब्दिक अर्थ ही ज्ञान है। वह सनातन, सार्वभौमिक होने के साथ विज्ञान न्याय,धर्म सम्मत भी है। जगत नियंता ईश्वर ही श्रष्टि का आटो माइन सिस्टम है। उसके विधान को विज्ञान की कोई भी तकनीक से बदलना सम्भव नही है। इसका सीधा सा एक अर्थ है,की दूसरे जीवों की पीड़ाओं, कष्टों, दुखों, परेशानियों को महसूस करने के प्रति,मनुष्य जितना उदासीन ,संवेदनहीन होगा,वह सुख-आंनद की अनुभूति से भी उतना ही वंचित रहेगा।दूसरे का अहित चाहने का विचार भी हमारे ही मन में उपजता है ऐसा होते ही हमारी हानि की शुरुआत हो जाती है। क्रोध करते ही हमारा बी.पी बढ़ने लगता है।निराशा,कुंठा अवसाद के विचार मन में आते ही डिप्रेशन,एन्जायटी,लो-बी.पी की समस्या घर करने लगती है।आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के नवीन शोधों के निष्कर्ष भी अब यही जता रहे है नकारात्मक विचारों का हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भविष्य की दुनियां में रोग- निदान में मनोचिकित्सा की बहुत बडी भूमिका उभर कर सामने आयेगी।