केजरीवाल के काम पर भिड़े कांग्रेस नेता

राजधानी दिल्ली में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। लेकिन इस जीत से सबसे ज्यादा हलचल कांग्रेस में मच रही है। आम आदमी पार्टी की जीत की लगातार कई कांग्रेस नेता तारीफ कर रहे हैं, जिसपर आपस में ही नेता बयान दे रहे हैं। मुंबई कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर केजरीवाल सरकार की तारीफ की, तो अब अजय माकन ने उन्हें जवाब दिया है। अजय माकन ने सीधे तौर पर कहा है कि अगर आपको पार्टी छोड़नी है तो छोड़ सकते हैं। 


दरअसल, रविवार देर रात को कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने एक ट्वीट किया जिसमें राज्य सरकार के द्वारा रेवेन्यू के मोर्चे पर काम की तारीफ की है। मिलिंद देवड़ा ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘एक ऐसी जानकारी साझा कर रहा हूं जो कि कम लोग जानते हैं। अरविंद केजरीवाल सरकार ने पिछले पांच साल में रेवेन्यू को डबल कर दिया गया है और अब ये 60 हजार करोड़ तक पहुंच गई है। दिल्ली अब भारत का सबसे आर्थिक रूप से सक्षम राज्य बन रहा है।’ मिलिंद देवड़ा के इस ट्वीट को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रिट्वीट भी किया। लेकिन कांग्रेस नेता अजय माकन को ये पसंद नहीं आया। 


मिलिंद देवड़ा के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए कांग्रेस नेता अजय माकन ने लिखा, ‘भाई, अगर आपको कांग्रेस पार्टी छोड़नी है, तो छोड़ सकते हैं। फिर आधे पके तथ्यों को ठीक करें।’ अजय माकन ने इसी के साथ कुछ डाटा साझा किया।1997-98 (रेवेन्यू) 4073 करोड़ 2013-14 (रेवेन्यू) 37459 करोड़ कांग्रेस सरकार के दौरान 14.87 फीसदी रेवेन्यू बढ़ा 2015-2016 (रेवेन्यू) 41129 2019-20 (रेवेन्यू) 60000 आप सरकार के दौरान 9.90 फीसदी रेवेन्यू बढ़ा गौरतलब है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर लगातार मुफ्त की चीज़ें बांटने का आरोप लगता है। जिसमें उन्हें टैक्सपेयर्स के पैसे को इस तरह बांटने का आरोप लगाया जाता है। बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में दिल्ली सरकार ने 5,236 करोड़ रुपए के रेवेन्यू सरप्लस का अनुमान रखा है। 2018-19 में राज्य सरकार का अनुमानित रेवेन्यू सरप्लस 4,931 करोड़ रुपए था।


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प्रतापगढ़ :
आज मनुष्य भौतिकतावाद की आंधी में बहकर अधिकतम धन-सम्पत्ति अर्जन कर, भोग-विलास के साधनों से क्षणिक सुखों की म्रगतृष्णा में भटक रहा है,इसलिए वह ईश्वर प्रदत्त शाश्वत शांति और आंनंद प्राप्ति से दूर ही होता जा रहा है। अज्ञानता वश इस सत्य से अनभिज्ञ है,की सुख-दुख की अनुभूति करने वाला केवल एक ही मन है। सनातन वैदिक धर्म की मान्यताओं में इसलिए सुख विशेष की अवस्था को स्वर्ग तथा दुख विशेष की अवस्था को ही नर्क कहा गया है। शांति के बिना आनंद की प्राप्ति सम्भव नही यही जगत का अटल सत्य है। सुख-दुख केवल एक मन की अवस्था का नाम है। ऐसा होना कभी सम्भव नही की संवेदनहीन निष्ठुर,कठोर ह्रदय से हम दुखों की अनुभूतियों को नजर -अंदाज कर दें और उसी ह्रदय से सुख,आनंद अनुभव कर लें इन अनुभूतियों के लिए ह्रदय का संवेदनशील होना आवश्यक है। वेद का शाब्दिक अर्थ ही ज्ञान है। वह सनातन, सार्वभौमिक होने के साथ विज्ञान न्याय,धर्म सम्मत भी है। जगत नियंता ईश्वर ही श्रष्टि का आटो माइन सिस्टम है। उसके विधान को विज्ञान की कोई भी तकनीक से बदलना सम्भव नही है। इसका सीधा सा एक अर्थ है,की दूसरे जीवों की पीड़ाओं, कष्टों, दुखों, परेशानियों को महसूस करने के प्रति,मनुष्य जितना उदासीन ,संवेदनहीन होगा,वह सुख-आंनद की अनुभूति से भी उतना ही वंचित रहेगा।दूसरे का अहित चाहने का विचार भी हमारे ही मन में उपजता है ऐसा होते ही हमारी हानि की शुरुआत हो जाती है। क्रोध करते ही हमारा बी.पी बढ़ने लगता है।निराशा,कुंठा अवसाद के विचार मन में आते ही डिप्रेशन,एन्जायटी,लो-बी.पी की समस्या घर करने लगती है।आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के नवीन शोधों के निष्कर्ष भी अब यही जता रहे है नकारात्मक विचारों का हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भविष्य की दुनियां में रोग- निदान में मनोचिकित्सा की बहुत बडी भूमिका उभर कर सामने आयेगी।