देश में कोरोनावायरस के मिले तीन नए मरीज, पीएम मोदी ने की स्थिति की समीक्षा
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" alt="" aria-hidden="true" />विशेष सचिव (स्वास्थ्य) संजीव कुमार ने कहा कि देश में कोरोनावायरस के तीन नए मामले सामने आए हैं। इस तरह वायरस से पीड़ितों की संख्या 34 पहुंच गई है। इनमें से दो मामले लद्दाख में सामने आए हैं। इन्होंने ईरान की यात्रा की थी। वहीं एक मामला तमिलनाडु का है जिसने ओमान की यात्रा की थी।  


वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कोरोनावायरस (कोविड-19) से उत्पन्न स्थिति और विभिन्न मंत्रालयों द्वारा अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा की। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। कार्यालय के अनुसार बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे और अन्य अधिकारी शामिल थे।


कार्यालय ने बताया कि पीएम मोदी ने निर्देश दिया है कि बीमारी फैलने की स्थिति में विशेष वार्डों के लिए पर्याप्त स्थानों की पहचान और महत्वपूर्ण देखभाल के प्रावधान के लिए तत्काल तैयारी की जाए।

बैठक में मोदी ने संदिग्ध मामलों के शीघ्र सेंपल परीक्षण की व्यवस्था करने और ईरान में मौजूद भारतीय नागरिकों की स्वदेश वापसी यथाशीघ्र सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इस संक्रामक बीमारी के प्रबंधन के लिए अग्रिम और पर्याप्त योजना और समय पर प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

उल्लेखनीय है कि ईरान में अब तक 145 लोगों की कोरोनावायरस के संक्रमण से मौत हो गई है। बैठक में मौजूद स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने मौजूदा स्थिति और इससे निपटने के लिए सभी संबद्ध मंत्रालयों द्वारा अब तक किए गए उपायों की विस्तार से जानकारी दी।

प्रधानमंत्री ने कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सभी विभागों के अब तक के प्रयासों की सराहना करते हुए इस बात की जरूरत पर बल दिया कि कोरोनावायरस के संकट को देखते हुए भारत को इससे निपटने की पुख्ता कार्ययोजना बनानी होगी।

उन्होंने कहा कि सभी विभागों को आपसी सामंजस्य से काम करना चाहिए और इसके संक्रमण से बचाव को लेकर जनजागरुकता भी करना चाहिए। मोदी ने कहा कि कोरोनावायरस से निपटने के लिए दुनिया भर में विकसित किए गए अब तक के सबसे बेहतर उपायों की पहचान कर इन्हें अपनाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने उपयुक्त कार्ययोजना को लागू करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि त्वरित कार्रवाई ही संक्रमण को काबू में करने का व्यवहारिक उपाय है।



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प्रतापगढ़ :
आज मनुष्य भौतिकतावाद की आंधी में बहकर अधिकतम धन-सम्पत्ति अर्जन कर, भोग-विलास के साधनों से क्षणिक सुखों की म्रगतृष्णा में भटक रहा है,इसलिए वह ईश्वर प्रदत्त शाश्वत शांति और आंनंद प्राप्ति से दूर ही होता जा रहा है। अज्ञानता वश इस सत्य से अनभिज्ञ है,की सुख-दुख की अनुभूति करने वाला केवल एक ही मन है। सनातन वैदिक धर्म की मान्यताओं में इसलिए सुख विशेष की अवस्था को स्वर्ग तथा दुख विशेष की अवस्था को ही नर्क कहा गया है। शांति के बिना आनंद की प्राप्ति सम्भव नही यही जगत का अटल सत्य है। सुख-दुख केवल एक मन की अवस्था का नाम है। ऐसा होना कभी सम्भव नही की संवेदनहीन निष्ठुर,कठोर ह्रदय से हम दुखों की अनुभूतियों को नजर -अंदाज कर दें और उसी ह्रदय से सुख,आनंद अनुभव कर लें इन अनुभूतियों के लिए ह्रदय का संवेदनशील होना आवश्यक है। वेद का शाब्दिक अर्थ ही ज्ञान है। वह सनातन, सार्वभौमिक होने के साथ विज्ञान न्याय,धर्म सम्मत भी है। जगत नियंता ईश्वर ही श्रष्टि का आटो माइन सिस्टम है। उसके विधान को विज्ञान की कोई भी तकनीक से बदलना सम्भव नही है। इसका सीधा सा एक अर्थ है,की दूसरे जीवों की पीड़ाओं, कष्टों, दुखों, परेशानियों को महसूस करने के प्रति,मनुष्य जितना उदासीन ,संवेदनहीन होगा,वह सुख-आंनद की अनुभूति से भी उतना ही वंचित रहेगा।दूसरे का अहित चाहने का विचार भी हमारे ही मन में उपजता है ऐसा होते ही हमारी हानि की शुरुआत हो जाती है। क्रोध करते ही हमारा बी.पी बढ़ने लगता है।निराशा,कुंठा अवसाद के विचार मन में आते ही डिप्रेशन,एन्जायटी,लो-बी.पी की समस्या घर करने लगती है।आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के नवीन शोधों के निष्कर्ष भी अब यही जता रहे है नकारात्मक विचारों का हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भविष्य की दुनियां में रोग- निदान में मनोचिकित्सा की बहुत बडी भूमिका उभर कर सामने आयेगी।